Tuesday, July 27, 2010

मेलों में लाभ आयोजकों को होता है


भारतीय हस्तशिल्प कला को बढावा देने तथा हस्तशिल्प को प्रोत्साहन देने क लिए वस्त्र्मंत्रालय भारत सरकार ने कई योजनायें बनती है | हस्तशिल्प कलाकार अपनी रोजी रोटी की खातिर अपनी कलाकृतियों को देश विदेश में पहुचने के लिए हर समय अवसर की तलाश करता रहता है | यदि कलाकार को अच्छा बाज़ार मिल जाये और उस की कलाकृतियाँ को खरीदने वाले आकर्षित हो जाएँ तो हस्तशिल्प के घर परिवार को रोटी मिल जाती है | और खरीदने वाले के घर में सजावट के साथ साथ उस की आवश्यकता भी पूरी हो जाती है | वह हस्तशिल्पी भाग्यशाली होता है यदि उस की कलाकृति देश की सीमा को लाँघ कर विदेशी के घर पहुँच जाए तो भारतीय संस्कृति को बढावा मिलता है | आर्थिक विकास भी होता है | वस्त्रमंत्रालय भारत सरकार हस्तशिल्पी को लाभ पहुँचाने के लिए तथा हस्तशिल्प कला को बढावा देने के लिए हस्तशिल्पी कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति को विकसित करने के लिए पर्यटन मंत्रालय तथा विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से मेलों का बाज़ारों का आयोजन करता रहता है | प्रतिवर्ष वस्त्रमंत्रालय भारत सरकार इस उदेश्ये की प्राप्ति के लिए बजट का भी प्रावधान करता है | स्वयं सेवी संस्थाएं जो हस्तशिल्प कला को बढावा देने और हस्तशिल्पी को अपना सामान बेचने के लिए मेलों में बाज़ारों का आयोजन करता है उस को प्रोत्साहन देने के लिए वस्त्रमंत्रालय नीति अनुसार अनुदान भी देता है | इन मेलों में लाभ आयोजकों को होता है या लेने वाले हस्तशिल्पियों को | इस का सर्वे शायद वस्त्रमंत्रालय रखता ही होगा |www.hastshilpisamachar.com

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