आम पूरे देश में 1-3 मिलियन हैक्टेयर भाग में उगाया जाता है और लगभग 11 मिलियन टन आम की पैदावार होती है। विश्व में सबसे अधिक आम भारत में पैदा होता है। पीतमपुरा में आयोजित 22 वें आम उत्सव में बड़े पैमाने पर भाग लेने वालों में पारम्पिरिक आम के बागवानों के किसान जिन्होंने वर्षों से अपने इस कौशल में दक्षता हासिल की है। अलावा सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं भी बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं। सैंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सब हार्टिकल हर्टीकल्चर ,रहमान खेड़ा, लखनऊ, यू पी स्टेट हार्टीकल्चर कापरेटिव मार्किट फेडेरेशन, लखनउ राजकीय कृषि उत्पादन मंडी परिषद लखनऊ, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, दिल्ली बिहार कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय सहित मुजफफर नगर आदि अनेक उत्पादक क्षेत्र भाग ले रहे हैं। मेज्जीफेरा इंडिका आम जो सदियों से मन को भाता आ रहा है, मान्यता है कि आम का फल भारतीय उपमहाद्वीप में उतना ही पुराना है जितना कि भूमिफ। आम की पैदावार 4000 वर्षों से भी पुरानी है। विश्व में आम की 1365 किस्में पैदा होती हैं जिसमें से लगभग 1000 किस्में भारत में ही पाई जाती हैं। इस आम उत्सव में लीची के आकार से लेकर कटहल के आकार तक का आम प्रदर्शित किया जा रहा है। विश्व का भारत में कुल 50 प्रतिशत आम उत्पादित होता है। आम उत्सव में लगभग आम की 400 से अधिक किस्में प्रदर्शित की जा रही है। इसके अलावा आम उत्सव में आम उत्पादकों के आठ आमों की किस्मों दछाहरी, लंगड़, मल्लिका, रटौल, चौसा, हुस्नआरा, फजली, रामकेला आदि के लिए प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।
www.hastshilpisamachar.comMonday, July 5, 2010
22 वें आम महोत्सव का उद्घाटन पीतमपुरा दिल्ली हाट - २ जुलाई
पीतमपुरा दिल्ली हाट में दिल्ली पयर्टन एवं परिवहन विकास निगम द्वारा आयोजित 22वें आम महोत्सव का उद्घाटन किया। फलों के राजा आम के उत्सव में विभिन्न प्रकार के आमों का प्रदर्शन होता है जिसका बडी बेसब्री से दिल्लीवासी व पर्यटक इंतजार करते है...इस अवसर पर मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि आम भारतीय उपमहाद्वीप का प्रमुख फल है। यह भारतीय संस्कृति व धर्म का भी एक अभिन्न अंग है। अपने विभिन्न गुणों के कारण ही इसे फलों का राजा कहा जाता है। चरक संहिता में आम के पेड़ व फल का चिकित्सकीय रूप में वर्णन मिलता है। प्रसिद्ध सूफी संत अमीर खुसरो ने भी आम के महत्व पर अपनी अभिव्यक्ति की है। अभिज्ञान शकुन्तलम में कालीदास ने बसंत श्रृतु में आम्रकुंजों वर्णन अत्यंत श्रृंगारिक रूप से किया है। बादशाह अकबर ने बिहार के दरभंगा के पास आम के कई लाख पेड़ लगवाए थे... जिसे लक्खी बाग के नाम से आज भी जाना जाता है।
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